शनिवार, जुलाई 24, 2010

अरुणा राय की कविताएँ


हर मुलाकात के बाद

जो चीज हममें
कामन थी
वो था हमारा भोलापन
और बढता गया वह
हर मुलाकात के बाद
पर दुनिया हमेशा की तरह
केवल सख्तजां लोगों के लिए
सहज थी
सो हमारा सांस लेना भी
कठिन होता गया

और अब हम हैं

मिलते हैं तो गले लग रोते हैं
अपना आपा खोते हैं
फिर मुस्कुराते हंसते
और विदा होते हैं


प्यार में पसरता बाज़ार

सारे आत्मीय संबोधन
कर चुके हम
पर जाने क्यों चाहते हैं
कि वह मेरा नाम
संगमरमर पर खुदवाकर
भेंट कर दे

सबसे सफ्फाक और हौला स्पर्श
दे चुके हम
फिर भी चाहते हैं
कि उसके गले से झूलते
तस्वीर हो जाए एक

जिंदगी के
सबसे भारहीन पल
हम गुजार चुके
साथ-साथ
अब क्या चाहते हैं
कि पत्थर बन
लटक जाएं गले से
और साथ ले डूबें

यह प्यार में
कैसे पसर आता है बाजार
जो मौत के बाद के दिन भी
तय कर जाना चाहता है ...
प्यार एक अफवाह है

प्यार
एक अफ़वाह है
जिसे
दो जिद्दी सरल हृदय
उड़ाते हैं
और उसकी डोर काटने को उतावला
पूरा जहान
उसके पीछे भागता जाता है

पर
उसकी डोर
दिखे
तो कटे

तो
कट कट जाता है
सारा जहान
उसकी अदृश् डोर से

यह सब देख
तालियाँ बजाते
नाचते हैं प्रेमी

और गुस्साया जहान
अपने तमाम सख् इरादे
उन पर बरसा डालता है

पर अंत तक
लहूलुहान वे
हँसते जाते हैं
हँसते जाते हैं

अफ़वाह
ऊँची
और ऊँची
उड़ती जाती है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. prem par har kavita bahut fab rahi hai sach much aapne chhuaa diya pyaar se !!!

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  2. aise samay me jab har taraf dhundh ho apki kavitaon ne man ko chhu dia.prem ko is tivrta se mahsusna adbhut hai .

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  3. अरुणा जी, अफवाह कब सचाई में बदल जाये कहा नहीं जा सकता लेकिन जैसे ही वह सचाई में बदलती है, उस पर मुश्किलें टूट पड़्ती हैं.हम चाहे जो सोचें पर अभी तो ऐसी सचाइयों के उड़ान पर बहुत सारे पहरे हैं. उन्हें तोड़्ना पड़ेगा.

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  4. rochak, ajeeb, shaandar - ab yahan kya pratikriya de...aruna ray, tumhari kavita insein bhi ooper hai...saralta mein sukoon hai kavita mein. ek nitaant manaviya(stree)nivedan hai kavita. ek prapti hai jeevan ki sarthak tumhari kavita. jiye, saha aur kaha aur kahne ke maulik andaaz mein khilti kaliyon si kavita...from: ggshgs@gmail.com

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