गुरुवार, जून 16, 2011

तीनों बन्दर बापू के / नागार्जुन

बाबा की जन्मशती पर प्रस्तुत हैं उनकी दो प्रसिद्ध कविताएँ -

तीनों बन्दर बापू के !
बापू के भी ताऊ निकले तीनों बन्दर बापू के !
सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बन्दर बापू के !
सचमुच जीवनदानी निकले तीनों बन्दर बापू के !
ग्यानी निकले, ध्यानी निकले तीनों बन्दर बापू के !
जल-थल-गगन-बिहारी निकले तीनों बन्दर बापू के !
लीला के गिरधारी निकले तीनों बन्दर बापू के !
सर्वोदय के नटवरलाल
फैला दुनिया भर में जाल
अभी जियेंगे ये सौ साल
ढाई घर घोडे की चाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवरलाल

लम्बी उमर मिली है, ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के !
दिल की कली खिली है, ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के !
बूढ़े हैं फिर भी जवान हैं ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के !
परम चतुर हैं, अति सुजान हैं ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के !
सौवीं बरसी मना रहे हैं ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के !
बापू को हीबना रहे हैं ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के !
बच्चे होंगे मालामाल
ख़ूब गलेगी उनकी दाल
औरों की टपकेगी राल
इनकी मगर तनेगी पाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवरलाल

सेठों का हित साध रहे हैं तीनों बन्दर बापू के !
युग पर प्रवचन लाद रहे हैं तीनों बन्दर बापू के !
सत्य अहिंसा फाँक रहे हैं तीनों बन्दर बापू के !
पूँछों से छबि आँक रहे हैं तीनों बन्दर बापू के !
दल से ऊपर, दल के नीचे तीनों बन्दर बापू के !
मुस्काते हैं आँखें मीचे तीनों बन्दर बापू के !
छील रहे गीता की खाल
उपनिषदें हैं इनकी ढाल
उधर सजे मोती के थाल
इधर जमे सतजुगी दलाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवरलाल

मूंड रहे दुनिया-जहान को तीनों बन्दर बापू के !
चिढ़ा रहे हैं आसमान को तीनों बन्दर बापू के !
करें रात-दिन टूर हवाई तीनों बन्दर बापू के !
बदल-बदल कर चखें मलाई तीनों बन्दर बापू के !
गाँधी-छाप झूल डाले हैं तीनों बन्दर बापू के !
असली हैं, सर्कस वाले हैं तीनों बन्दर बापू के !
दिल चटकीला, उजले बाल
नाप चुके हैं गगन विशाल
फूल गए हैं कैसे गाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवरलाल

हमें अँगूठा दिखा रहे हैं तीनों बन्दर बापू के !
कैसी हिकमत सिखा रहे हैं तीनों बन्दर बापू के !
प्रेम-पगे हैं, शहद-सने हैं तीनों बन्दर बापू के !
गुरुओं के भी गुरु बने हैं तीनों बन्दर बापू के !
सौवीं बरसी मना रहे हैं तीनों बन्दर बापू के !
बापू को ही बना रहे हैं तीनों बन्दर बापू के !

पाँच पूत भारतमाता के
पाँच पूत भारतमाता के, दुश्मन था खूंखार
गोली खाकर एक मर गया,बाकी रह गये चार

चार पूत भारतमाता के, चारों चतुर-प्रवीन
देश-निकाला मिला एक को, बाकी रह गये तीन

तीन पूत भारतमाता के, लड़ने लग गये वो
अलग हो गया उधर एक, अब बाकी बच गये दो

दो बेटे भारतमाता के, छोड़ पुरानी टेक
चिपक गया है एक गद्दी से, बाकी बच गया एक

एक पूत भारतमाता का, कन्धे पर है झन्डा
पुलिस पकड कर जेल ले गई, बाकी बच गया अंडा

(कविताएँ तथा चित्र क्रमशः कविताकोष तथा गूगल से साभार)

सोमवार, जून 06, 2011

ईश्वर का समय का पहिया : शेल सिल्वरस्टीन


ईश्वर का समय का पहिया

ईश्वर ने मुस्कुरा कर मुझसे पूछा एक दिन :
क्या तुम थोड़ी देर के लिए ईश्वर बनना चाहोगे
जिस से मन माफिक चला सको दुनिया?
ठीक है, कोशिश करके देखता हूँ...मैंने जवाब दिया.
पर मुझे मिलेंगे कितने पैसे?
कितनी देर का लंच टाइम होगा?
नौकरी छोड़ने की कोई शर्त तो नहीं?
बेहतर है भाई कि तुम समय का पहिया मुझे कर दो वापिस
मुझे नहीं लगता कि तुम इसके काबिल हो अभी...
ईश्वर ने शांत भाव से जवाब दिया.

माँ और ईश्वर
ईश्वर ने हमें दीं उँगलियाँ -- माँ कहती हैं: फ़ॉर्क से खाना खाओ
ईश्वर ने दी हमें आवाज -- माँ कहती हैं: चीखो मत
माँ कहती हैं ब्रोकोली, अन्न और गाजर खाने को
पर ईश्वर ने तो हमें आईसक्रीम के स्वाद चखने को दिए.
ईश्वर ने दी हमें उँगलियाँ-- माँ कहती हैं: रुमाल का इस्तेमाल करो
ईश्वर ने हमें दिया कीचड़ कादो --माँ कहती हैं: इनमें छपछप मत करो
माँ कहती हैं:शोर मत मचाओ ,अभी पापा सो रहे हैं
पर ईश्वर ने हमें फोड़ने पिचकाने को ढेर सारे डिब्बे दिए हैं.
ईश्वर ने दी हमें उँगलियाँ-- माँ कहती हैं: अपने दस्ताने पहन कर रखो
ईश्वर ने हमें दी हमें बारिश की बूँदें: माँ कहती है: बरसात में भीगो मत
माँ चेताती है संभल के रहना,बहुत पास मत जाना
उन अजूबे प्यारे पिल्लों के जो ईश्वर ने हमें दिए.
ईश्वर ने दी हमें उँगलियाँ--माँ कहती हैं: जाओ इनको धो कर आओ
पर ईश्वर ने दिए हमें कोयले के ढेर और सुन्दर लेकिन गंदे शरीर
मैं बहुत सयाना तो नहीं हूँ पर एक बात निश्चित है:
या तो माँ सही होगी..या फिर ईश्वर.