शुक्रवार, जुलाई 09, 2010

रेड इंडियन कविताएँ-2

बार्नी बुश
कवि, कथाकार और गायक बार्नी बुश का जन्म 1945 में शिकारियों के एक परिवार में हुआ। इनके पूर्वज ओहियो नदी के दोनों तटों पर निवास करते थे। उनकेइनहेरिट दि ब्लडसहित लगभग आधा दर्जन कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनका मानना है कि ‘‘उस जीवन-शैली में जीना, जिसका प्रचार औपनिवेशिक अमेरिका विश्व भर में कर रहा है, वस्तुतः भीषण मृत्यु ही है, इसके पीछे चाहे उसकी कितनी ही भली नीयत क्यों न हो। इस सृष्टि के बचे हुए लोग उसे देखते हैं, सुनते हैं, सूँघते हैं, चखते हैं, महसूस करते हैं और डर जाते हैं। सभ्यता आज एक निहायत अश्लील शब्द बन गया है।’’

रक्त में यात्रा
जब बहुत दिन हो जाता है
देखे भाइयों को
जब बीत जाता है बहुत समय
देखे बहनों को
जब हो जाता है हमें काफी वक्त देखे
एक-दूसरे को, तब
देखने लगते हैं हम गहरे
अपने सपनों में उन्हें
जिन्होंने पैदा की है यह हालत
गीत, पहाड़, घास के हरे-भरे मैदान
नगारे, संबंधी, भालू, बारहसिंघे,
कछुए, गरुड़ और
हम देखते हैं
कितनी कुछ समेट लेने वाली है
सपनों की वर्तुलता
रक्त के बीच, कभी भी
समाप्त नहीं होती यात्रा।

(ये रेड इंडियन कविताएँ 'रक्त में यात्रा' शीर्षक से पहल-पुस्तिका के रूप में प्रकाशित हैं। अनुवाद श्री वीरेंदर कुमारबरनवाल जी का है। पहल एवं बरनवाल जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इन्हें पोस्ट कर रहा हूँ)

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