बुधवार, मार्च 16, 2011

हम उत्सव के रंग हैं

स्कूल का आखिरी दिन...वह भी परीक्षा का। मेरे बेटे सहज की पूरी तैयारी थी ... स्कूल की पाबंदी के बावजूद होली खेलने की ... जब स्कूल से लौटा तो उसे देखकर अपनी एक पुरानी कविता याद गयी - ‘उत्सव के रंग और पिछली होली पर खींचे गये कुछ चित्र ... होली की शुभकामनाओं सहित प्रस्तुत हैं -

उत्सव
के रंग

चाहता हूँ
होली खेलने से पहले
नहाकर, सारा मैल धोकर
स्वयं को चमका लूँ
कि हर रंग
बहुत गहरे उतरे
और मन में अंकित कर दे
जीवन का इन्द्रधनुषी पहलू।

चाहता हूँ
होली खेलते वक्त
पहनूँ सफेद कपड़े
कि जन्म हो कैनवास पर
उत्सव की अनूठी कलाकृति का।


चाहता हूँ
होली खेलने के बाद
सँभालकर रखूँ इस कृति को
कि जब भी उदास होऊँ
हर रंग याद दिलाए
कि हम
उत्सव के रंग हैं
तुम्हारे आँसू हमें धुँधला नहीं सकते।

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