(अनुवाद एवं प्रस्तुति : यादवेन्द्र)
फूल को कुचल डालने का समय आ गया है
फूल को कुचल डालने का समय आ गया है
फूल को कुचल डालने का समय आ गया है
अब और टाल मटोल मत करो
बस हाथ में थामो हंसिया
और दृढ कदमों से आगे बढ़ो..
देखो तो हरा भरा मैदान दूर दूर तक
ट्यूलिप के फूलों से लदा पड़ा है
आज तक देखी है किसी ने ऐसी निर्लज्ज ढिठाई
हरियाली अब भी शोखी से ऊपर ही ऊपर चढ़ती जा रही है..
समय आ गया है जब इनको
माथे से कस कर दबा दिया जाये.
मन के अंदर की ख़ुशी इतनी जाहिर हो रही है
कि हर शाख पर खिलते जा रहे हैं फूल
दिखावा..और वो भी इतना चटक रंग बिरंगा..
बिलकुल ही नहीं इसकी आज़ादी.
मैदान में फ़ौरन आ जाओ अपना खंजर लेकर
फूल की एक एक कोंपल को काट डालना है
जिससे सामने न कुछ दिखाई दे
और न ही मन में कोई ख्वाहिश पनप पाए.
देखन होगा
एक अदद कोंपल भी न बच पाए..
मुझे डर है कहीं पाँव न पसार ले
आत्ममोह अपना उलझाने वाला जंजाल
सुनहरे कटोरे या छह किनारे वाली तश्तरी का मोहक रूप धर कर..
इसको तुरंत रोकना होगा
जो कुल्हाड़ी है तुम्हारे पास संभाल कर रखी हुई
क्या होगा इसका इस्तेमाल
यदि काट ही न सको तेजी से बढ़ता ये लुभावना वृक्ष..
इस छतनार वृक्ष की किसी शाख पर
चौकस रहो, बैठ न जाये कोई परिंदा पल भर को भी.
मेरे गीतों और जंगली खुशबूदार झाड़ियों में
अंदर तक रचे बसे हैं संदेसे और सुगंध.
इनको कतई मौका मत दो
कि बढ़ा लें अपनापा और मेलजोल
आवारा गुन्जारों के साथ
और बन जाएँ विनाशकारी झंझावत.
मैं और मेरा दिल किसी हरे भरे मैदान से ज्यादा उर्वर है
और इसकी मामूली सी माटी और पानी में भी
पलक झपकते अंकुर की तरह फूट पड़ते हैं फूल ही फूल...
सबसे सुरक्षित यही है
कि मुझे सिर उठा कर खड़ा ही मत होने दो
यदि तुम दुश्मन हो बसंत के
सचमुच...सचमुच.
संघर्ष के स्वर हर जगह मौजूद हैं।
जवाब देंहटाएंसंघर्ष के स्वरों की मुखर कविता वह भी इरानी कवियित्री की....
जवाब देंहटाएंएक श्रेष्ठ कविता..
जीवन एक संघर्ष है…………बेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंनारी का संघर्ष जारी है ..बहुत अच्छी पास्तुती
जवाब देंहटाएंसंघर्ष क्या है , जिन्दगी का दूसरा नाम , और इसी बात पर केन्द्रित यह कविता अपने आप में सुंदर सन्देश का सम्प्रेषण करती है ....शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 09-11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
bahut hi umda jaankari evam prastuti
जवाब देंहटाएंbahut sundar....................
जवाब देंहटाएंbahut achhi rachana...........
जवाब देंहटाएंek achci kavita hum tak rakhne ke liye aap ko sadhuwd ,
जवाब देंहटाएंsaadr
ek acchi prastuti
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti!
जवाब देंहटाएंbasant ke dushmano ko apne chitt ki dridhta ka bhaan karati uttam rachna!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति. सिमीं बहबहानी जी से परिचय कराने के लिए धन्यवाद. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.