सोमवार, अप्रैल 11, 2011

सांत्वना: उदयन वाजपेयी


कुछ दिनों पहले उदयन वाजपेयी मुजफ्फरनगर में आयोजितमलयज स्मृति व्याख्यानदेने के लिए पधारे थे। इस अवसर पर उनकी कविताओं का रसास्वादन जमकर लिया गया। उनकी एक कवितासांत्वनायहाँ उनके स्वर सहित प्रस्तुत है -

सांत्वना
अपने एक दिन रह जाने के ख्याल में इतनी सांत्वना थी कि मैंने अपने एक दिन रह जाने के ख्याल में ही रहना शुरू कर दिया। अब मेरे घर के सामने का पेड़ मेरी मृत्यु के बाद का पेड़ है जिस पर धूप पड़ रही है। अब मेरी हर यात्रा मेरी मृत्यु के बाद की यात्रा है। मेरा यह शरीर अपनी मृत्यु के बाद मेरी स्मृति में अटका रहा आया कोई तिनका है। अब अन्तरिक्ष के फैलाव में उलझी यह पृथ्वी मेरे जाने के बाद बची रही आयी पृथ्वी है जिस पर मेरे बेटे अपने ढेरों बल्लों से क्रिकेट खेल रहे हैं और जिसकी एक छत पर बैठी तुम मेरे आने की प्रतीक्षा कर रही हो।

7 टिप्‍पणियां: