कैंसर क्या क्या नहीं कर सकता
कैंसर इतना पिद्दी सा होता है
कि यह प्रेम को अपाहिज नहीं बना सकता
कि यह उम्मीदों को नेस्तनाबूद नहीं कर सकता
कि यह भरोसे को जंग लगा कर जर्जर नहीं कर सकता
कि यह शांति को नष्ट नहीं कर सकता
कि यह दोस्ती को हलाक़ नहीं कर सकता
कि यह स्मृतियों को दफना नहीं सकता
कि यह हिम्मत को गूँगा लाचार नहीं बना सकता
कि यह आत्मा पर विजय नहीं प्राप्त कर सकता
कि यह जीवन की अमरता चुरा नहीं सकता
कि यह जीवन जीने की ललक का ध्वंस नहीं कर सकता....
(प्रस्तुति : यादवेन्द्र)
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