विज्ञान व्रत का नया ग़ज़ल संचयन प्रकाशित
जुगनू ही दीवाने निकले
अंधियारा झुठलाने निकले
ऊंचे लोग सयाने निकले
महलों में तहख़ाने निकले
में तो सबकी ही जड़ में था
किसके ठीक निशाने निकले
हाथ समझकर पकड़ा जिनको
वो केवल दस्ताने निकले
सभी मित्रों, शुभचिंतकों को यह सूचित करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि हमारे सहज प्रकाशन से प्रकाशित विज्ञान व्रत का ग़ज़ल संचयन
'मेरे वापस आने तक' अब उपलब्ध है। 200₹ मूल्य का यह संचयन प्रकाशक से सीधे मँगवाने पर विशेष छूट के साथ यह Rs. 175 (डाक खर्च सहित) उपलब्ध है। 9760344345 पर paytm करके इसे मँगवा सकते हैं।
यह किताब अमेज़न पर भी उपलब्ध है -
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