tag:blogger.com,1999:blog-6094944045194523070.post7663309254331474444..comments2023-07-11T15:15:51.504+05:30Comments on काव्य-प्रसंग: सीरियाई कविता : निज़ार कब्बानीपरमेन्द्र सिंहhttp://www.blogger.com/profile/07894578838946949457noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6094944045194523070.post-6208425171588315572010-08-08T17:48:04.829+05:302010-08-08T17:48:04.829+05:30great to see your blog!!great to see your blog!!anjulinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6094944045194523070.post-91746325803397327082010-08-08T00:12:54.354+05:302010-08-08T00:12:54.354+05:30बहुत ही अच्छी कवितायेंबहुत ही अच्छी कवितायेंशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6094944045194523070.post-23380814653206043802010-08-07T21:30:07.805+05:302010-08-07T21:30:07.805+05:30बेहतरीन कविताएं...बेहतरीन कविताएं...रवि कुमार, रावतभाटाhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6094944045194523070.post-7724605720675252092010-08-07T20:09:30.263+05:302010-08-07T20:09:30.263+05:30* निज़ार क़ब्बानी मेरे प्रिय कवियों में से हैं। अच्छ...* निज़ार क़ब्बानी मेरे प्रिय कवियों में से हैं। अच्छा लगा उनकी रचनाओं की यादवेन्द्र जी द्वारा अनुवाद व प्रस्तुति को देखना - पढ़ना। <br />* इस संदर्भ में कविता प्रेमियों के लिए बस एक सूचना भर यह है कि निज़ार क़ब्बानी की बहुत - सी कविताओं के मेरे द्वारा किए गए अनुवाद 'कबाड़खाना', 'कर्मनाशा' , 'अनुनाद'और 'सबद' पर हैं। यदि मन करे तो तो वहाँ जाया जा सकता है। 'कबाड़ख़ाना' पर निज़ार क़ब्बानी की कुछ कछ कविताओं के अनुवाद अशोक पांडे द्वारा किए गए भी हैं। <br />* साथ ही एक सूचना यह भी कि 'पक्षधर' पत्रिका के ताजा अंक निज़ार क़ब्बानी की दस कविताओं के अनुवादमें भी मेरे द्वारा किए गए दस अनुवाद प्रकाशित हुए हैं।siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6094944045194523070.post-66815380177925872862010-08-07T18:46:36.392+05:302010-08-07T18:46:36.392+05:30परमेन्द्र जी मैं अशुद्धि नहीं ढूढ़ रहा था, समझना ही...परमेन्द्र जी मैं अशुद्धि नहीं ढूढ़ रहा था, समझना ही चाहता था. आपका बहुत आभार कि इसे ठीक कर दिया है कविता को फिर से पढ़ा. आनंद में हूँ .के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6094944045194523070.post-88784867416198233572010-08-06T21:54:02.307+05:302010-08-06T21:54:02.307+05:30किशोर जी, एक पंक्ति अशुद्ध छप गयी थी - ठीक कर दी ग...किशोर जी, एक पंक्ति अशुद्ध छप गयी थी - ठीक कर दी गयी है। अशुद्धि इंगित करने के लिए धन्यवाद।परमेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/07894578838946949457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6094944045194523070.post-5709055919093460812010-08-06T21:44:09.595+05:302010-08-06T21:44:09.595+05:30कविताएं अद्भुत रूप से आकर्षित करती हुई हैं
एक पंक...कविताएं अद्भुत रूप से आकर्षित करती हुई हैं<br /><br />एक पंक्ति समझ नहीं आयी<br />तुम्हारे बदन के लिए<br />और साथ में मेरे पर के लिए भी.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6094944045194523070.post-86572007392864841822010-08-06T21:38:41.404+05:302010-08-06T21:38:41.404+05:30आभार! इतनी अच्छी रचनाओं से रूबरू कराने के लिए।आभार! इतनी अच्छी रचनाओं से रूबरू कराने के लिए।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com